Sunday, January 15, 2017

देखकर तेरे नयनो में . . .

देखकर तेरे नयनो में जमाना भूल जाती हूँ 

तेरी यादो के गुलिस्तां में रमण करती जाती हूँ 

पकङकर हाथ तेरा खुद को बङा महफूज पाती हूँ 

कदम तुझ ओर बढते ही सारे गम पीछे छोङ आती हूँ 

देखकर तेरे नयनो में जमाना भूल जाती हूँ। 

लगकर तेरे सीने से बङा सुकून पाती हूँ 

लेकर अधरो से तेरा नाम इनकी तकदीर संवारती हूँ 

तेरी बांहो के घेरे में अपना घर बनाती हूँ 

तेरे ख्वाबो में खोने खातिर बिन नींद भी सो जाती हूँ 

देखकर तेरे नयनो में जमाना भूल जाती हूँ। 

तेरी चाहत की खुश्बू से अपनी साँसो को महकाती हूँ 

देखती हूँ प्रतिबिम्ब दर्पण में तुझे सामने पाती हूँ 

सोचकर साथ में तुझको मन ही मन हर्षाती हूँ 

प्रति पल तेरे एहसास से प्यार करती जाती हूँ 

देखकर तेरे नयनो में जमाना भूल जाती हूँ। 

          -आस्था गंगवार ©