कुछ बातें हैं तेरी बेबाक सी
कुछ बातों में तू मौन है
कयी राज़ है इस चुप्पी में
पर खामोशियों में एक शोर है
बस इतना ये कह जाती है
तू तुझमें कोई और है
कहीं धरा आकार है तेरा
कहीं धनक का तू रंग है
मधुर बिहग सुर में तेरे
एक बिरह का भी अंग है
सरगम पे एक मोर है नाचता
वो तुझमे तेरे संग है
नदी के बहते पानी सी
और आसमानो की सोच है
कुछ इरादे भी हैं तेरे
और उनमे ही तेरी मौज है
ये पेड़ , हवा , बारिश जो है
तू बँधा इनसे एक डोर है
सब तुझमे है तुझसे पर
तू तुझमे कोई और है